क्या महात्मा गांधी अंग्रेजों से नफरत करते थे?
महात्मा गांधी के बारे में काफी तथ्य प्रचलित हैं जिनमें से एक है कि वे खुद को प्राप्त होने वाले हर पत्र का प्रत्युत्तर देने की पूरी कोशिश करते थे. ऐसा ही एक रोचक पत्र गांधी जी को मिला जिसमें फ्रेड कैम्पबेल नाम के व्यक्ति ने उनसे पूछा था कि क्या महात्मा गांधी अंग्रेजों से नफरत करते हैं?

गांधी जी उस समय असहयोग आन्दोलन के बाद जेल से छूटकर आये थे. इस आरोप का जवाब देने के लिए महात्मा गांधी ने फ्रेड कैम्पबेल को वापस पत्र भेजा जो इस प्रकार था-
148, रसा रोड,
कलकत्ता
26 जुलाई 1925
मेरे प्रिय युवा मित्र,
मुझे आपका स्पष्ट और ईमानदार पत्र पसंद आया है जिसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं।
आपको लगता है कि मैं ब्रिटिशों से नफरत करता हूं। ऐसा सोचने का क्या कारण है? ब्रिटिश लोगों में मेरे सैकड़ों दोस्त हैं। अगर मैं अंग्रेजों से नफरत करता हूँ तो मैं हिन्दुओं और मुसलामानों से भी प्यार नहीं कर सकता। मेरा प्यार कोई खास अफेयर नहीं है। अगर मैं आज अंग्रेजों से नफरत करता हूं, तो मुझे कल मुस्लिमों से और उसके बाद हिंदुओं से नफरत करनी होगी।
लेकिन जिससे मैं घृणा करता हूं वह सरकार की वो प्रणाली है जिसे अंग्रेजों ने मेरे देश में स्थापित किया है। अंग्रेजों की इस प्रणाली ने भारत के लोगों को आर्थिक और नैतिक रूप से लगभग बर्बाद कर दिया है। लेकिन बहुत से दोष होने के बाद भी जिस प्रकार मैं अपने बीवी बच्चों को प्रेम करता हूँ, ठीक उसी प्रकार मैं उस बुरी व्यवस्था के बावजूद भी अंग्रेजों से प्यार करता हूं जिसके लिए उन्होंने दुर्भाग्य से खुद को जिम्मेदार बना लिया है। वह प्रेम जो अंधा होता है वह प्रेम नहीं होता है, वह प्रेम जो अपनी आंखों को प्रियजनों के दोषों के लिए बंद कर देता है वह आंशिक और खतरनाक भी होता है। अगर यह पत्र आपको संतुष्ट नहीं करता है तो आपको फिर से लिखना होगा।
सादर,
(हस्ताक्षरित, ‘एमकेगांधी’)
महात्मा गांधी ने इस पत्र में बता दिया था कि उन्हें अंग्रेजों से नफरत नहीं है बल्कि उस प्रणाली से नफरत है जिसे अंग्रेज काम में ले रहे हैं, महात्मा गाँधी भारतीयों के आर्थिक व नैतिक पतन से आहत थे लेकिन नफरत और हिंसा का रास्ता उन्हें कभी सही नहीं लगा.

महात्मा गाँधी सदैव संवाद को ही उचित हल मानते थे. गलत राह चलने वाली एक पीढ़ी का दोष आने वाली पीढ़ियों पर मढ़ना भी इतिहास में अन्याय होता है. अंग्रेजों के नस्ल के प्रति गांधीजी में कभी द्वेष नहीं पनपा.
गांधीजी इसी प्रकार हर पत्र का उत्तर देने की कोशिश किया करते थे और वो भी पूरी ईमानदारी से.
तो इस प्रश्न का उत्तर कि क्या महात्मा गांधी अंग्रेजों से नफरत करते थे? है कि नहीं वे केवल कर्म को दोष देते थे.