मशीनीकरण का युग इंसान के लिए खतरा?
देश-दुनिया में मशीनों के प्रति बढ़ता लगाव और आदमी की पराधीनता मनुष्य के भविष्य को संकट में डाल रही है।
खेतों से लेकर कारखानों तक हर क्षेत्र में 100 आदमियों की जगह एक रोबोट या एक मशीन प्रतिस्थापित हो गई है।

समय और सुलभता की माँग काम करने वाले वर्ग में नहीं थी और नहीं है। वे मेहनती वर्ग हैं लेकिन ग्लैमर्स जीवन और चकाचौंध से भरे विज्ञापनों ने मानव जीवन को सरल बनाने की कोशिश की है। गरीब वर्ग के परिवार, मध्यम वर्गीय परिवारों पर ही इस मशीनीकरण का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा।
असल में दुनियाभर में कृत्रिम मशीनें धीरे-धीरे बढ़ रही हैं, मजदूर खर्चा और समय की खपत को बचाने के लिए सभी व्यवसायी या कम्पनियों के मालिक इन मशीनों को ले रहे हैं और उसकी जगह पहले से काम करने वाले दहाई के अंक में मानवों को काम से निकाल रहे हैं।

मशीनों के पक्षधरों का कहना है कि इन मशीनों से जुड़े हजारों रोजगारों का सृजन होगा लेकिन वे इस बात से जानबूझकर अनभिज्ञ बन रहे हैं कि इससे लाखों रोजगार मिट भी जाएंगे।
पारम्परिक रोजगारों का ह्वास हो जाएगा और नए रोजगारों के लिए कुशल कामकाजी वर्ग मिलने की संभावना बहुत कम होगी। लगातार बढ़ती बेरोजगारी दर ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में पहले से ही एक चिंता का विषय बना रखा है और तो और कोरोना रोग के बाद से यह बहुत ही ज्यादा गंभीर विषय बन गया है।
मशीनों से इंसान को खतरा:-
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने चेतावनी दी है कि कोरोनावायरस महामारी के परिणामस्वरूप इस साल और अधिक लोग भूख की चपेट में आ सकते हैं।
इस वैश्विक महामारी के बाद रोजगार की सुनिश्चित्तता बढ़ाना सबसे प्राथमिक लक्ष्य होना चाहिए। क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान बड़े से बड़े व्यापार भी ठप हो गए थे इसलिए इस महामारी ने हमें एक ऐसा परिदृश्य तैयार कर दिया है जिसमें हम मशीनों की तीव्र गति के बिना भी मानुषिक गति से काम करके अपने काम को जारी रख सकते हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि जिस प्रकार दुनियाभर में मशीनीकरण बढ़ रहा है उससे आने वाले वर्षों में निम्न क्षेत्रों में करीब-करीब पूरी तरह से मशीनें मानवों को प्रतिस्थापित कर देंगी।
WEF की रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट कॉलर कैटेगरी में आने वाली नौकरियों को ज्यादा खतरा है। अगले पांच साल यानी वर्ष 2025 तक रोबोट व ऑटोमेशन मशीनों के चलते नौकरियां काफी कम होने की संभावना है। इनमें डाटा एंट्री क्लर्क, अकाउंटिंग, बुककीपिंग व पे रोल क्लर्क, फैक्ट्री मजदूर, कस्टमर केयर सेक्टर, बिजनेस सर्विस व एडमिनिस्ट्रेशन मैनेजर, अकाउंटेंट, जनरल ऑपरेशन मैनेजर, स्टॉक कीपिंग क्लर्क, डाक सेवा क्लर्क, वित्तीय समीक्षक, कैशियर व टिकट क्लर्क, मैकेनिक, टेलीमार्केटिंग, बिजली व टेलीकॉम रिपेयर सेवा, बैंक क्लर्क, कार, वैन और मोटरसाइकिल चालक, एजेंट व ब्रोकर, घर-घर सामान बेचने का काम, वकील, बीमा क्लर्क और वेंडर सर्विस शामिल हैं।
इसलिए हमें मशीनीकरण पर थोड़ा हस्तक्षेप करना चाहिए और मशीनों के बढ़ते उपयोग को सीमित करना चाहिए ताकि मानवों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके।
निशस्त्रीकरण की अवधारणा के बाद नि: मशीनीकरण की अवधारणा भी अब गंभीर रूप से विचार योग्य है।
जिन मशीनों को मनुष्य ने अपने लाभ के लिए बनाया वे ही अब उसके आने वाले भविष्य को खतरे में डाल रही हैं।
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